शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

बीते लम्हों की खनक

कल बीआरसी पर बीते छः महीनों से चला आ रहा औपचारिक शैक्षिक प्रशिक्षण खत्म हुआ...ये भी सच है कि प्रशिक्षण पूरा होने की खुशी से ज्यादा साथियों से बिछुड़ने का ग़म है...इस थोड़े से ही वक़्त में हमने कई जि़न्दगियों को जिया है और जाना भी है कि दोस्ती के असली मायने क्या होते हैं...लेकिन कल दोस्तों से दूर जाते समय मैने देखा...कि विदाई के मामले में आँखें बहुत वफादार नहीं होतीं...बहुत रोकने पर भी गर्म नमकीन पानी छलका देती हैं  ...विदाई की धूसर शाम किसी उफनायी नदी की प्रचण्ड लहरों की तरह दोस्तों से मुलाकातों के उस दौर को भी अपने साथ बहा कर ले गयी...लेकिन छोड़ गयी बोलती तस्वीरों के कुछ सुरीले कोलाज... रंगबिरंगी यादें और मिलन की अधूरी आस....।