मंगलवार, 5 मार्च 2013

मै बनाऊँ एक सुराख खोपड़ी में

मै बनाऊँ एक सुराख खोपड़ी में

तुम लेकर आओ एक कीप 

और भर लाओ ज्ञान 

वेद,ऋचाओं,उपनिषदों और हिमालय की कन्दराओं का 

तुम उड़ेल दो समूचे ब्रम्हाण्ड का ज्ञान 

मेरे मस्तिष्क के सभी कोटरों में

ताकि मै जान सकूँ 

ज्ञान होना पर्याप्त नहीं

ज्ञान होने का विषय नहीं

ज्ञान विषय है अनुभूति का

ज्ञान के पार भी है एक संसार

निर्वात का


ज्ञान


हो सकता है माध्यम


उस निर्वात तक पहुँचने का

जोकि भरा है खालीपन से


विशुद्ध


खालीपन से...!!


                                     -अभिषेक शुक्ल