रविवार, 24 फ़रवरी 2013

तीन वर्ष पूर्व, प्रिय के जन्मदिवस पर लिखी गयी कविता....मेरी नयी कलम से.. मेरी प्रथम कृति....)


आयु के प्रत्येक प्रहर में,
जीवन की हर एक डगर में,
फूलों - सा मुस्काती रहना,
तुम गीत खुशी के गाती रहना !

पतझड़ में बनकर हरियाली,
फूलों से झुकती हुयी डाली,
सारी बगिया महकाती रहना,
तुम गीत खुशी के गाती रहना !

ह्रदय के निर्जन वन में,
मन के सूने आँगन में,
स्मृति - पुष्प खिलाती रहना,
तुम गीत खुशी के गाती रहना !

अंबुज - दल सम नेत्रों से,
अरुण वर्ण इन अधरों से,
प्रेम सुधा छलकाती रहना,
तुम गीत खुशी के गाती रहना !

प्रिय, तुम श्यामल सुस्मिति से,
नयनों की झिलमिल ज्योति से,
रजत - रागिनी बिखराती रहना,
तुम गीत खुशी के गाती रहना !!

                                              - अभिषेक शुक्ल